Deepest Hole in the World in Hindi » पृथ्वी में दुनिया का सबसे गहरा छेद कौन सा है?

Deepest Hole in the World in Hindi: क्या आप जानते हैं कि इस पृथ्वी पर मौजूद दुनिया का सबसे गहरा छेद कौन सा है? आपके मन में यह सवाल ज़रूर आया होगा कि आख़िर अभी तक हमने सी धरती में कितनी गहराई तक खोद चुके हैं? अगर आप इस दुनिया का सबसे गहरा छेंद कौन सा है कि जानकारी चाहते हैं, तो इस लेख को पूरा पढ़ें।

Deepest Hole in the World in Hindi » पृथ्वी में दुनिया का सबसे गहरा छेद कौन सा है?

रूस के दूरस्थ कोला प्रायद्वीप में स्थित कोला सुपरदीप बोरहोल, दुनिया का सबसे गहरा छेद है। पृथ्वी पर मौजूद इस सबसे गहरे छेंद को 1970 और 1980 के दशक के दौरान सोवियत वैज्ञानिकों द्वारा ड्रिल किया गया था। इसकी कुल गहराई 7.5 मील (12 किलोमीटर) है। इसे पृथ्वी पर मानव निर्मित सबसे गहरा गड्ढा माना जाता है, और इसमें हमारे ग्रह के आंतरिक भाग के बारे में जानकारी का खजाना भी मौजूद है। इसको English में “Kola Superdeep Borehole” के नाम से जाना जाता है।

कोला सुपरदीप बोरहोल (Kola Superdeep Borehole) » Deepest Hole in the World

पृथ्वी पर दुनिया का सबसे गहरा गढ्ढा (छेंद) बनाने की परियोजना मुख्य रूप से पृथ्वी की परतों का अध्ययन करने के साथ गहराई पर चट्टानों और खनिजों के निर्माण में अंतर्दृष्टि प्राप्त करने के लिए शुरू की गई थी। इसके लिए ड्रिलिंग 1970 में शुरू हुई और 1989 तक बोरहोल अपनी अधिकतम गहराई तक पहुंच गया था। ड्रिलिंग प्रक्रिया के दौरान वैज्ञानिकों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जिसमें उच्च तापमान और दबाव शामिल थे, जिससे चट्टानों के नमूने निकालना मुश्किल हो गया। यह छेंद सिर्फ 9 इंच (22.9 सेमी) व्यास का था। इसके अलावा एक और छेद प्रशांत महासागर में मैरिएंस खाई में चैलेंजर डीप 6.8 मील (10.9 किमी) जितना गहरा है।

Deepest Hole in the World

सोवियत वैज्ञानिकों ने पृथ्वी की सतह में गहराई तक खोदा था, वो इतना गहराई तक खोद दिए थे जितना आज तक किसी ने कभी नहीं किया। जिसके परिणाम स्वरूप पृथ्वी पर दुनिया का सबसे गहरा छेद (Deepest Hole in the World) बना।  

पृथ्वी पर मौजूद इस दुनिया के सबसे गहरे छेद से वैज्ञानिकों ने क्या सीखा और पाया?

सोवियत वैज्ञानिकों ने 4.3 मील (6.9 किमी) नीचे एकल-कोशिका वाले प्लवक जीव पाए, और लगभग उसी गहराई पर, उन्होंने पानी की खोज की। उन्होंने यह भी पता लगाया कि तापमान छेद के तल पर 356°F (180°C) तक पहुंच गया, जो उनके अनुमान से अधिक था। यही कारण था कि छेद को 1994 में बंद कर दिया गया था। ड्रिलिंग जारी रखने के लिए छेद बहुत गर्म था। गर्म परिस्थितियों के कारण पर्यावरण अधिक गर्म हो गया और बोरहोल को बनाए रखना अधिक कठिन था।

इसके अलावा, इसने उपकरणों को बहुत जल्दी बर्बाद कर दिया। लेकिन वैज्ञानिक लगभग 4,000 मील (6,347 किमी) पृथ्वी के केंद्र की दूरी का अधिक सटीक अनुमान लगाने में सक्षम थे। यह छेद मुश्किल से इसे पृथ्वी की ऊपरी सतह को भी नही पर कर पाया जो लगभग 23 मील (37 किमी) मोटी है। हालाँकि उनका लक्ष्य था पृथ्वी के कोर तक छेद करना जो क्रस्ट के नीचे लगभग 1,800 मील (2,896 किमी) मोटी है।

दुनिया के 10 सबसे गहरे छेंद » Top 10 Deepest Hole in the World (Earth) in Hindi

यहाँ दुनिया के दस सबसे गहरे गढ्ढों (छेंदों) को उनके नाम, उनके स्थान और गहराई के आधार पर रैंक किया गया है:

रैंकनामस्थानगहराई (मीटर)
1कोला सुपरदीप बोरहोलरूस12,262
2टौटोना माइनदक्षिण अफ्रीका3,900
3म्पोनेंग गोल्ड माइनदक्षिण अफ्रीका3,900
4सवुका गोल्ड माइनदक्षिण अफ्रीका3,774
5ड्रीफोंटेन माइनदक्षिण अफ्रीका3,420
6किड माइनकनाडा3,417
7ईस्ट रैंड माइनदक्षिण अफ्रीका3,585
8द ग्रेट ब्लू होलबेलीज124
9मिर डायमंड माइनरूस1,722
10बर्कली पिटसंयुक्त राज्य अमेरिका (मोंटाना)549

ध्यान दें: कोला सुपरदीप बोरहोल की गहराई उसके सबसे गहरे बिंदु से मापी गई है, लेकिन माइनों की गहराई उनके संबंधित भूमि स्तर से मापी गई है।

मैक्सिको के ग्वाडालूप के तट पर प्रोजेक्ट

कोर तक पहुचने का पहला प्रयास 1958 में मैक्सिको के ग्वाडालूप के तट पर हुआ, यह प्रोजेक्ट प्रशांत महासागर के मोहोल नामक स्थान में था। अमेरिकी इंजीनियरों ने 11,700 फीट (3,566 मीटर) पानी में ड्रिल किया और सीफ्लोर के नीचे 601 फीट (183 मीटर) छेद किया। पैसों की कमी से यह परियोजना 1966 में बंद कर दी गई।  

जर्मन कॉन्टिनेंटल डीप ड्रिलिंग कार्यक्रम

अगला बड़ा प्रयास 1987 से 1995 तक हुआ जब बवेरिया में जर्मन वैज्ञानिकों द्वारा जर्मन कॉन्टिनेंटल डीप ड्रिलिंग कार्यक्रम शुरू किया गया। वे लगभग 5.7 मील (9.2 किमी) नीचे जाने में कामयाब रहे। ये प्रोजेक्ट भी पैसों की कमी के कारण बंद हो गया।  

Deepest Hole in the World के लिए जापान का प्रोजेक्ट

पृथ्वी की ऊपरी सतह समुद्र तल के नीचे पतली होती है, यहीं पर गहराई तक खोदने की अगली कोशिश की गई। एक विशेष जापानी ड्रिल जहाज चिकू, ने समुद्र के नीचे लगभग 2 मील (3.2 किमी) पर वैज्ञानिक उद्देश्यों के लिए उपयोग किए जाने वाले सबसे गहरे अपतटीय छेद का रिकॉर्ड अपने नाम किया है।

चीकू का उपयोग करने वाली एक अंतरराष्ट्रीय टीम अब और गहराई तक जाने का प्रयास कर रही है। इंटीग्रेटेड ओशन ड्रिलिंग प्रोग्राम 2003 में शुरू किया गया था और यह पृथ्वी के केंद्र में जाने की कोशिश कर रहा है, जहाँ तापमान 1,600°F (871°C) से शुरू हो सकता है। कार्यक्रम में कई साल लगेंगे, और इसकी लागत $1 बिलियन तक पहुंच सकती है।

निष्कर्ष

इस लेख में आपने जाना कि इस धरती पर मौजूद दुनिया का सबसे गहरा छेंद कौन सा है? इसके साथ ही दुनिया के 10 सबसे गहरे छेंद (Top 10 Deepest Hole in the World/Earth in Hindi) के बारे में जानकारी प्राप्त की है। आशा करते हैं कि यह आर्टिकल आपको पसंद आएगा।